नई दिल्ली: कोरोना वायरस ने देश में कोहराम मचा दिया है,इससे अमेरिका,इटली,चीन जैसी महाशक्तियों ने कोरोना के आगे नतमस्तक हो चुके हैं,ऐसे में वो कोरोना से लड़ने में मददगार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के लिए भारत से गुहार लगा रहे हैं।
आपको बताते चलें कि भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने के लिए अपनी सूची में 13 देशों को शामिल किया है, इन देशों में, अमेरिका, स्पेन,जर्मनी, बहरीन,ब्राजील,नेपाल,भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश, सेसेल्स, मारीशस,और डोमिनिकन जैसे देश शामिल हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुल 1 करोड़ 40 लाख टेबलेट और 13.5 मीट्रिक Api टेबलेट बनाने के लिए कच्चा माल इन देशों के लिए भेजा गया है।
एक प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि देश में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का पर्याप्त भंडार है।
सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ने भारत से इस दवा की 48 लाख टैबलेट मांगी थी,जबकि भारत ने 35.82 लाख टेबलेट्स भेजने के लिए मंजूरी दिया है।
आपको बताते चलें कि यह दवा मुख्य रूप से मलेरिया में काम करती है( ICMR ) इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के निर्देश के अनुसार ये दवा उन चिकित्साकर्मियों को दी जा सकती है जो संदिग्ध या कोरोना मरीज की सेवा कर रहे हैं,।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट का सबसे बड़ा उत्पादक है भारत
भारत दुनिया का सबसे बड़ा 70% हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक देश है,इस क्षेत्र में भारत की 3 फार्मास्युटिकल कंपनियां (IPCA,CADILA, वालैक) शामिल हैं ।
विदेश मंत्रालय के एएस दम्मू ने बताया की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर हमारे पास पहले से ही अनुरोध आए थे ,कई देशों द्वारा इस दवा के लिए अनुरोध किया गया है,इसलिए हम अपने देश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, हमने फैंसला किया कि बची हुई दवा दूसरे देशों में निर्यात कि जाए।